वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 7 अगस्त 2025 — अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक बार फिर विदेशी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। 9 अगस्त से लागू होने वाले इस फैसले से अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। यह बीते 100 वर्षों में अब तक का सबसे बड़ा टैरिफ माना जा रहा है।
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शेयर बाजार में मची हलचल, निवेशकों में दहशत
टैरिफ की घोषणा के साथ ही अमेरिकी शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट देखी गई। डाउ जोंस, S&P 500 और नैस्डैक जैसे प्रमुख इंडेक्स में बीते 2 दिनों में 10% से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। निवेशकों में डर फैल गया कि इस फैसले से विदेशी सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे खुदरा बाजार, निर्माण उद्योग और आयात-निर्यात पर बड़ा असर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट मार्च 2020 की कोरोना महामारी के दौर जैसी है, जब बाजारों में भारी उथल-पुथल मच गई थी।
हर अमेरिकी पर ₹2 लाख का सालाना भार
आर्थिक विश्लेषकों के अनुसार, इस टैरिफ नीति के चलते हर अमेरिकी नागरिक को औसतन 2 लाख रुपये (लगभग 2,400 डॉलर) सालाना का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ सकता है। बढ़ती महंगाई से अमेरिकी उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर होगा।
ट्रम्प सरकार ने पहले भी वापस लिया था फैसला
इससे पहले ट्रम्प सरकार ने इसी तरह का टैरिफ मार्च में लगाया था, लेकिन तब बाजार में मचे कोहराम को देखते हुए 90 दिनों के लिए उसे टाल दिया गया था। अब दोबारा इसे लागू करने का ऐलान किया गया है, जिससे वैश्विक व्यापार जगत और निवेशक समुदाय में चिंता बढ़ गई है।
मंदी की आहट
टैरिफ के असर से न सिर्फ अमेरिका बल्कि दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट, निवेश में गिरावट और व्यापारिक असंतुलन की स्थिति बनने से वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है।