सक्ती – जिले में फर्जी भर्ती, फर्जी केसीसी, फर्जी रकबा पंजीयन और डायवर्टेड भूमि में धान बेचने वालों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। दस्तावेजीय प्रमाण होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी की स्वेच्छा चारिता चरम पर है। यह कारण कि भ्रष्टाचारियों के मनोबल बड़े हुए हैं।

यू. बी. एस. राठिया
संयुक्त पंजीयक, संभाग बिलासपुर

भ्रष्टाचार के इस पाठशाला में त्रिमूर्ति बनकर तीन अधिकारियों की सबसे ज्यादा संलिप्तता नजर आ रही है जिनके संरक्षण में यह भ्रष्टाचार फल फूल रहा है। किसी भी धान खरीदी समिति के संचालन में सबसे महत्वपूर्ण और जवाबदेही कार्य बैंक का होता है जहां पदस्थ अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ने से पूरी तरह रोका जा सके। यही कारण है कि बैंक के अधिकारी एवं कर्मचारियों को समिति द्वारा प्रस्तुत समस्त दस्तावेजों की जांच एवं अवलोकन पश्चात ही आगे की कार्रवाई करने निर्देश प्राप्त है।

मोती लाल चौहान
शाखा प्रबंधक डभरा

लेकिन कहावत है “सैया भये कोतवाल तो डर किस बात की” यह पूरी लाइन सक्ती जिले के सहकारी बैंक के कर्मचारी एवं शाखा प्रबंधकों के लिए सटीक बैठ रहा है। शाखा प्रबंधक द्वारा ही समिति में भ्रष्टाचार को पनपने के लिए अवसर प्रदान कर रहे हैं जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भी सामने आया है।

उमा शंकर तिवारी
शाखा प्रबंधक चंद्रपुर

इसी तरह शासन द्वारा संभागीय स्तर पर बैंक और सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार न हो सके एवं शिकायत आने पर तत्काल कार्रवाई करने संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर संभाग में यू. बी. एस. राठिया पोस्टिंग की गई है जिनके सतत निगरानी में समिति एवं बैंकिंग के कार्य संचालित हो रहे हैं। लेकिन संभाग में ऐसे अधिकारी को जिम्मेदारी दे दी गई है जो भ्रष्टाचार को बढ़ाने में लगे हुए हैं।

यह आरोप इसलिए लगाया जा रहा है क्योंकि पिछले 6 महीने से फर्जी भर्ती, फर्जी रकबा पंजीयन और फर्जी के.सी.सी. लोन वितरण करने की लगातार शिकायतें प्राप्त होने के बाद भी संभागीय स्तर के अधिकारी राठिया के कानों में जू तक नहीं रेंग रहा है। आखिरकार अधिकारी की इस तरह की चुप्पी को क्या माना जाए? क्या अधिकारी द्वारा भ्रष्ट समितियों को उनकी मौन स्वीकृति प्राप्त है?

पूरा मामला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा चंद्रपुर और डभरा अंतर्गत का है। यहां के शाखा प्रबंधकों के द्वारा समितियों के फर्जीवाड़ा में शामिल होकर उनके चहेते लोगों को अनैतिक लाभ पहुंचाने का कार्य किया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि शाखा डभरा अंतर्गत समिति देवरघटा, उपकेंद्र सुखदा, बरतूंगा, समिति बड़े कटेकोनी और चंद्रपुर शाखा अंतर्गत बघौद उपकेंद्र टुंडरी, समिति कलमा उपकेंद्र पलसदा में के.सी.सी. लोन के लिए जो दस्तावेज इन समितियों द्वारा प्रस्तुत किया गया उसमें जालसाजी की गई लेकिन इन जालसाजों को उजागर करने के बजाय बैंक के अधिकारी शाखा प्रबंधक और सुपरवाइजर ने सही ठहराते हुए आगे बढ़ा दिया गया जिसके बाद ही फर्जी केसीसी लोन बट गया और शासन को आर्थिक क्षति भी हुआ।

इस मामले की लगातार लिखित शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों ने अपने स्वेच्छा चारिता निभाते हुए सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बचाने का कार्य किया है जिनके खिलाफ जल्द ही उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए न्याय की गुहार लगाई जाएगी।

हाईकोर्ट में लगेगी याचिका, इनको भी बनाया जाएगा पार्टी

शिकायतकर्ता का कहना है कि न्याय नहीं मिलने पर पूरे मामले की दस्तावेजीय प्रमाण पत्रों के साथ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वह विवश हो चुका है और यह भी कहना है कि याचिका में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर सुनील कुमार सोढ़ी, संयुक्त पंजीयक सहकारी संस्थाएं बिलासपुर यू. बी. एस. राठिया, नोडल अधिकारी जिला सक्ती अश्वनी पांडे, शाखा प्रबंधक डभरा मोतीलाल चौहान, तात्कालीन शाखा प्रबंधक चंद्रपुर उमाशंकर तिवारी, प्रभारी संस्था प्रबंधक देवरघटा, बड़े कटेकोनी, बघौद, कलमा सहित उन सभी अधिकारियों के नाम को शामिल किया जाएगा जिनके टेबल में शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई

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