कोरबा – NTPC धनरास रखड़ बांध से प्रभावित ग्रामीणों का गुस्सा अब सड़क पर उतर आया है। विश्व पर्यावरण दिवस के दिन सैकड़ो महिलाएं सड़क पर बैठ गई और चक्का जाम करते हुए कार्य को पूरा बंद कर दिया। ये महिलाएं पिछले तीन दिनों से शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रही थी लेकिन प्रबंधन की कानों में जूं नहीं रेंग रहे थे जिसके कारण इन्हें आज आक्रामक होकर अपनी मांगों को पूरा कराने धरना प्रदर्शन करना पड़ा।

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प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि एनटीपीसी प्रबंधन द्वारा राखड़ बांध निर्माण करने उनकी उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया गया लेकिन अधिग्रहण के पूर्व जो वादे किए गए थे उसमें आज तक किसी भी वादों को उन्होंने पूरा नहीं किया, केवल आश्वासन का झुनझुना पकड़ाते रहे जिसके कारण ग्रामीणों में प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश है। धरना प्रदर्शन की खबर जैसे ही क्षेत्र के विधायक को हुई वह भी मौके पर पहुंच ग्रामीणों के साथ धरना प्रदर्शन में बैठ गए। आखिरकार प्रबंधन ने चर्चा के दौरान ग्रामीणों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया जिसके बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया।

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प्राप्त जानकारी अनुसार एनटीपीसी द्वारा राखड़ बांध बनाने धनरास में कई गांव की जमीन को अधिग्रहण किए थे जिसमें राखड़ बांध संचालित है। राखड़ बांध के संचालन होने से आसपास के प्रभावित गांव धनरास, पुरैनाखार, झोरा, छुरीखुर्द, घोरापाठ, घमोटा और लोतलौता में रहना अब लोगों के लिए दूभर हो गया है, तेज हवाओं के साथ राखड़ दूर-दूर तक फैल रही है जिससे लोगों को स्वास्थ्य गत कई परेशानियां भी हो रही है। इसके अलावा उनके खेतों के फसल भी नष्ट हो जा रहे हैं, जो भूमि उपजाऊ थी वह राखड़ के प्रभाव में आने के कारण दलदल में तब्दील हो गई जिसके कारण आज उन्हें धान की फसल ले पाने में काफी कठिनाइयों हो रही है।

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इस मुद्दे को लेकर पूर्व में भी ग्रामीणों के द्वारा एनटीपीसी प्रबंधन के सामने अपनी मांगों को रखते हुए पूरा करने की मांग की गई थी जिस पर एनटीपीसी प्रबंधन ने प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में प्रभावितों के साथ एक समझौता किया था जिसमें विस्थापितों को रोजगार, मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, राखड़ की समस्या का समाधान और मुआवजा जैसी शर्तें शामिल थी, लेकिन इन मांगों में एक भी वादा अब तक पूरा नहीं किया गया।

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उद्योग मंत्री के गृह जिले में चल रही मनमानी

छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री लखन लाल देवांगन प्रदेश के उद्योग मंत्री है जिनका गृह जिला कोरबा है। इसी कोरबा जिले में आज ग्रामीणों को एनटीपीसी प्रबंधन की मनमानी झेलनी पड़ रही है और मूलभूल सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।

छूट भईया नेताओं की बल्ले बल्ले?

सूत्रों की माने तो राखड़ बांध धनरास प्रभावित ग्रामीणों के शुभचिंतक बनकर कुछ छूट भईया नेता सक्रिय हो गए है। इन छूट भईया नेताओं की खूब बल्ले बल्ले हो रही हैं। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि छूट भईया नेता ग्रामीणों की आड़ में अपनी जेब गर्म कर निकल जाते हैं। सूत्रों का यह भी दावा है कि यही कारण है कि आज भी लोगों को अपने मूलभूत सुविधाओं से जूझना पड़ रहा है जिसे ग्रामीणों को भी अब समझने की जरूरत है।

शीशे में बंद AC कमरे की ठंडकता से लैस अधिकारी क्या समझे ग्रामीणों की पीड़ा?

शीशे में बंद AC कमरे की ठंडकता में बैठे अधिकारियों को ग्रामीणों की समस्या से कोई वास्ता नजर नहीं आ रहा है। राखड़ से प्रभावित लोग और उनका पूरा परिवार जूझ रहा है, त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा है, अनेकों बीमारियों से जूझ रहे है फिर भी प्रबंधन चुप है। ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों को एक बार धनरास राखड़ बांध के पास बसाहट देकर रहने की जरूरत है ताकि उनको ग्रामीणों की पीड़ा समझ में आए।

सुशासन सरकार कहां है?

कोरबा जिले में एनटीपीसी प्रबंधन की घोर लापरवाही के कारण आज प्रभावित ग्रामीणों की समस्याओं को शासन – प्रशासन दोनों ही देख रहे हैं फिर भी उन पर उचित कार्यवाही करने प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में सुशासन सरकार क्या सिर्फ कागजों में है या फिर सुशासन सरकार कहां है यह बता दीजिए?

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