कोरबा – कोयलांचल नगरी में एसईसीएल की बेहतर पहल और शासन की मदद से कोरबा वासियों को राखड़ के प्रकोप से बचाया है जिसके कारण न सिर्फ जिले के वातावरण को प्रदूषण से मुक्ति मिलने में सहायक हुई बल्कि कोरबा वासियों को भी इसके दंश का शिकार नहीं होना पड़ा। यह पहल जिले में पर्यावरण के प्रति एसईसीएल के बेहतर कार्य का मिसाल भी बना हुआ है।
आज विश्व पर्यावरण दिवस है, पूरा समाज,जिला, प्रदेश एवं देश भर के लोग पर्यावरण दिवस मना रहे हैं और पर्यावरण के प्रति अपने समर्पण को जमीनी हकीकत में बदलने प्रयास भी कर रहे हैं। वर्तमान समय में लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियां को समझ कर पर्यावरण बचाओ एवं पेड़ – पौधों के संरक्षण को लेकर सजग होते जा रहे हैं।
कोरबा जिला विकास की ओर अग्रसर है। इस जिले की पहचान पूरे देश भर में औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात है, यहां बिजली, कोयला और एल्युमिनियम की बड़ी – बड़ी कारखाने संचालित हो रही है। यहां एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान भी संचालित है। इन उद्योगों को चलाने के लिए कोयला सबसे बड़ा ईंधन के रूप में उपयोग होता है जिसके जलने पर राखड़ निकलते हैं।
राखड़ से आज जिले का वातावरण प्रदूषित होना लाजमी है। राखड़ की समस्या बहुत ही गंभीर हो चुकी है जिसके निपटान के लिए कई तरह की कोशिश भी की जा रही है। नई सड़कों को बनाने में एवं लो – लाईन एरिया को भरने में आज राखड़ का उपयोग किया जा रहा है फिर भी राखड़ की समस्या आज भी बनी हुई है।
SECL ने बंद खदान में भरा लाखों टन राखड़
कोरबा जिले में SECL ने शासन की मदद से राखड़ की समस्या को दूर करने के लिए एक बेहतर प्रयास किया है जो आज साक्षी बनकर नजर भी आ रहा है। SECL के बंद पड़े खदान मानिकपुर में पावर प्लांट से उत्सर्जित लाखों टन राखड़ का भराव किया गया जिसके कारण जिले वासियों को राखड़ के प्रकोप से बचाने में बहुत ज्यादा मदद मिली है वहीं पर्यावरण को दूषित होने से भी बचाया गया। राखड़ के भराव से एक खाई नुमा खदान को भर कर एक बार फिर उपयोगी बनाने में सफलता हासिल कर ली गई।