सक्ती – फर्जी के.सी.सी. ऋण मामले में जांच अधिकारी शैलेंद्र तिवारी ने मीडिया के समाने जानकारी साझा करते हुए बताया है कि चंद्रपुर और डभरा के शाखा प्रबंधक उमाशंकर तिवारी एवं मोतीलाल चौहान सहित संबंधित समितियों के संस्था प्रबंधक को अंतिम स्मरण पत्र जारी करते हुए शिकायत संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा है। जांच अधिकारी द्वारा शिकायत संबंधी किसानों के के.सी.सी. ऋण जारी करने से संबंधित एन.सी.एल, भूमि सम्बंधी ऋण पुस्तिका, बी वन, पी 2 सहित अन्य दस्तावेजों की मांग की गई है। जांच अधिकारी ने पत्र में यह भी लिखा है कि समय सीमा पर जांच हेतु उपस्थित नहीं होने पर जांच शून्य करते हुए वरिष्ठ अधिकारी को इसकी जानकारी दी जाएगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार सक्ती जिले में फर्जी के.सी.सी. ऋण का मामला लंबे समय से चर्चा में है जिसकी शिकायत जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पहुंच चुकी है। बावजूद मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। हालांकि इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर संभाग के सीईओ सुनील सोढ़ी द्वारा मामले की जांच के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा सक्ती के ब्रांच मैनेजर शैलेंद्र तिवारी को जांच करने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन अब तक जांच नहीं हो पाई है।
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जांच अधिकारी का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारी द्वारा पत्र मिलने के बाद संबंधित समितियों एवं शाखा प्रबंधकों को पत्राचार करते हुए जांच हेतु उपस्थित होने के लिए कहा गया था लेकिन अब तक संबंधित मामले में कोई भी उपस्थित नहीं हुए थे जिसके कारण जांच अभी भी लंबित है जिसके लिए उनके द्वारा अंतिम स्मरण पत्र भी जारी कर दिया गया है। जांच अधिकारी ने बताया कि 9 जून 2025 को शिकायत संबंधी समस्त दस्तावेजों सहित उपस्थित होने डेड लाइन भी जारी कर दिया गया है। समय सीमा में उपस्थित नहीं होने पर वरिष्ठ अधिकारियों को पत्राचार करते हुए अवगत कराने की भी बात कही है।
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शिकायतकर्ता का गंभीर आरोप है कि समिति में प्रभारी संस्था प्रबंधक, कंप्यूटर ऑपरेटर, तात्कालीन प्राधिकृत अधिकारी एवं संबंधित शाखा प्रबंधक एवं सुपरवाइजर के द्वारा जानबूझकर लापरवाही करते हुए कम रकबे में अधिक के.सी.सी. ऋण वितरण कर अपने चहेते लोगों को लाभ पहुंचाते हुए भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है जिसके कारण बैंक,समिति और शासन तीनों को नुकसान हुई है। इसके अलावा शासन द्वारा जारी नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गई है जिसको लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी और मामले में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गई थी।
इन समितियों के खिलाफ हुई थी शिकायत
जिले में फर्जी के.सी.सी. ऋण मामले में शिकायतकर्ता ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा डभरा अंतर्गत सेवा सहकारी समिति देवरघटा, उपार्जन केंद्र बरतूंगा, सुखदा और सेवा सरकारी समिति बड़े कटेकोनी तथा शाखा चंद्रपुर अंतर्गत सेवा सहकारी समिति बघौद, उपार्जन केंद्र टुंडरी, सेवा सहकारी समिति कलमा एवं उपकेंद्र पलसदा के खिलाफ शिकायत की गई थी।
संयुक्त पंजीयक की भ्रष्टाचारियों को मौन स्वीकृति?
इस पूरे मामले में संयुक्त पंजीयक बिलासपुर सरकारी संस्थाएं यू.बी.एस. राठिया की कार्यशैली पर सबसे ज्यादा प्रश्न चिन्ह लगाई जा रही है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि शिकायत करने के बाद भी अधिकारी अपने कर्तव्यों को भूलकर चुप बैठे हुए हैं, मानो ऐसे भ्रष्टाचारियों को उनकी मौन स्वीकृति प्राप्त हो। ऐसे अधिकारी को भी हटाने की मांग की जाएगी, ताकि भ्रष्टाचारियों को ऐसे अधिकारी का सहयोग ना मिल सके।
कार्यवाही नहीं होने पर हाईकोर्ट में दर्ज होगी याचिका
सूत्रों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि इस मामले में शिकायतकर्ता का कहना है कि अगर मामले को किसी भी तरह से दबाते हुए दोषियों को बचाने का प्रयास किया जाएगा तो उनके द्वारा इस मामले को हाईकोर्ट के शरण में ले जाकर न्याय की गुहार लगाई जाएगी जिसमें जिन अधिकारियों के समक्ष शिकायत की गई है और जो जिम्मेदार भी है उनको भी दोषियों को बचाने की मंशा से जांच को प्रभावित करने के मामले में पार्टी बनाया जाएगा