सक्ती – भ्रष्टाचार की आकंठ में डूबा सक्ती जिला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रशासनिक जांच में घोर लापवारही करने वाले तहसीलदार, कार्यपालन अभियंता और एसडीएम (रा.) सक्ती ने भोले – भाले ग्रामीणों को ही फंसाने की फिराक में नजर आ रहे है। सच्चाई से बेखबर यहां की प्रशासनिक अधिकारियों की कारगुजारी से भ्रष्टाचार फल फूल रहे हैं जिसकी शिकायत सामने आने के बाद भी कलेक्टर को चिंता नहीं हो रही है, शायद यही कारण है कि जिम्मेदार देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं मानो भ्रष्टाचारियों को इनकी मौन स्वीकृति प्राप्त हो।
ताजा मामला मसानिया देवरी सुंदरेली नहर मार्ग का है। लगभग तीन माह पूर्व इस नहर मार्ग में अवैध रूप से ठेकेदार द्वारा पोकलेन मशीन लगाकर सैकड़ो पेड़ों की बलि चढ़ा देने की घटना सामने आई थी जिसकी शिकायत कलेक्टर, सांसद, मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल से की गई थी।
मामला सामने आने के बाद सांसद कमलेश जांगड़े द्वारा इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच कर तीन दिवस के भीतर कलेक्टर को रिपोर्ट देने की बात कही थी। लेकिन सक्ती कलेक्टर अमृत विकास तोपनो की मनमानी चरम पर है और यही कारण है कि क्षेत्र के सांसद के पत्र को भी दरकिनार करते हुए 2 महीने तक रिपोर्ट नहीं दी गई और अंत में जो रिपोर्ट सौंप गई वह भी चौंकाने वाली थी।
मतदाता सूची की घर-घर स्क्रीनिंग देशभर में चलेगी, असम-बंगाल में होगी असली परीक्षा: चुनाव आयोग
कलेक्टर सक्ती द्वारा इस मामले की जांच एसडीएम सक्ती अरुण कुमार सोम को सौंपी थी जिसके द्वारा रिपोर्ट तैयार करके दी गई है जिसमें उल्लेख किया गया है कि तहसीलदार सक्ती एवं बाराद्वार द्वारा से प्राप्त जांच प्रतिवेदन अनुसार तहसील सक्ती अंतर्गत ग्राम मसानिया खुर्द में लगभग 150 झाड़ियां एवं पेड़, पतेरापाली कला में लगभग 45 झाड़ियां में पेड़, जाज़ंग अंतर्गत पाली, डगबोरा, बैलाचुआ, चमरवाह, जोंगरा, जुड़गा में लगभग 700 झाड़ियां एवं पेड़, बरपाली कला अंतर्गत छिंदमुड़ा एवं जामचुआ में लगभग 47 झाड़ियां एवं पेड़ तथा तहसील बाराद्वार अंतर्गत ग्राम नगरदा में लगभग 27 झाड़ियां एवं पेड़ ग्राम बहेरा में लगभग 24 झाड़ियां एवं पेड़ जो की बाबुल रीवा एवं गैर इमरती एवं गैर फलदार किस्म के पेड़ पौधे पाए गए हैं प्रतिवेदित किया गया है।
जांच प्रतिवेदन के आधार पर मंजू गोपाल, कार्यपालन अभियंता मिनीमाता बांगो, खरसिया जिला – रायगढ़ को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया जिनके द्वारा मेसर्स राजकुमार मिश्रा से अनुबंध किया गया है जो कि रायगढ़ जिले के विकासखंड सक्ती अंतर्गत खरसिया नहर शाखा में 7 से 24 किलोमीटर तक लाइनिंग,मिट्टी एवं मरम्मत कार्य में साइट क्लीयरेंस करते हुए नहर में उगे झाड़ियां को हटाने का कार्य किया गया है, संभाग के कार्य क्षेत्र अंतर्गत नहर के जो पेड़ काटे गए हैं यह कार्य स्थानीय ग्रामीणों द्वारा किया गया है, लेख किया गया है।
वहीं सूत्रों की माने इस मामले का दूसरा पहलू यह भी है कि अवैध पेड़ों की कटाई मामले में प्रभावित गांव के पटवारी एवं सरपंच द्वारा पंचनामा रिपोर्ट तैयार किया गया था जिसमें पेड़ों को काटने की किसी तरह की अनुमति नहीं होने और काटे गए पेड़ों में पेड़ों की संख्या और फलदार वृक्षों के भी काटे जाने की जानकारी दी गई है। पटवारी एवं सरपंच द्वारा संयुक्त रूप से किए गए जांच एवं पंचनामा में ठेकेदार और विभाग की लापरवाही स्पष्ट नजर आ रही थी जिसको दरकिनार किया गया।
कलेक्टर ने सांसद के पत्र को किया दरकिनार
सक्ती जिले में कलेक्टर की मनमानी किसी से छुपी नहीं है जिससे अधिकांश जनप्रतिनिधि भी नाराज है। सबसे बड़ी लापरवाही यह भी है कि गंभीर मामले में कलेक्टर द्वारा क्षेत्र के सांसद के पत्र को दरकिनार किया गया और उनको जानकारी देने में लापरवाही भी बरती गई है, इसके अलावा दिए गए जांच रिपोर्ट में भी कलेक्टर द्वारा सूक्ष्मता से जांच नहीं की गई जिसके कारण गलत रिपोर्ट तैयार किया गया है, इसका खामियाजा भविष्य में कलेक्टर को भी हो सकता है।
अधिकारियों ने खेला भ्रष्टाचार का खेल
पूरे मामले में भ्रष्टाचार का खेल यही से शुरू हुआ और कलेक्टर द्वारा एसडीएम के जांच रिपोर्ट को सही ठहराते हुए पूरे मामले में पेड़ों की अवैध कटाई का ठिकरा स्थानीय ग्रामीणों के सिर पर फोड़ दिया गया। ऐसे बेकसूर ग्रामीण जिन्हें पता भी नहीं है कि उनके ऊपर इतना बड़ा इल्जाम लगा दिया गया है। इस तरह प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध पेड़ काटने वाले ठेकेदार और जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों को बचाने के लिए माया का खेल रच ली। सूत्रों की माने तो इस माया के खेल में किसको ज्यादा माया मिली यह भी अब लोगों के मन में प्रश्न उठने लगा है।
बलौदा बाजार जैसी अप्रिय घटना होने की संभावना?
सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन की इस घोर लापरवाही से भोले भाले निर्दोष ग्रामीणों को ही कसूरवार बता दिया है जिसकी जानकारी धीरे-धीरे ग्रामीणों को होने लगी है जिससे उनके मन में आक्रोश भी पैदा होने लगा है, वहीं क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों में भी प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है जो कभी भी बड़ा विकराल रूप ले सकती है। सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि ठीक ऐसे ही बलौदा बाजार में भी ग्रामीणों को जानबूझकर दोषी ठहरने के कारण ही प्रशासनिक कार्यवाही से असंतोष होकर जिले में बड़ी आगजनी जैसी घटना को अंजाम दिया गया था क्या ऐसी बड़ी घटना सक्ती जिले में भी घट सकती है? इसकी भी संभावना लोग व्यक्त कर रहे हैं, हालांकि इसकी पुष्टि हमारे द्वारा नहीं की जा रही है।
केवल पेड़ की हुई अवैध कटाई, नहर की सफाई नहीं हुई
एसडीएम द्वारा कलेक्टर को सौंप गए जांच रिपोर्ट में जो जानकारी दी गई है वह गलत है अगर मौके की जांच की जाएगी तो इसकी सच्चाई खुद ही सामने आ जाएगी। आज भी जिस जगह पर नहर में सफाई होना बताया जा रहा है वहां ना तो नहर के लाइनिंग में सफाई की गई है और ना ही झाड़ियां को काटा गया है, बल्कि अवैध रूप से वृक्षों की अवैध कटाई की गई है जिसको दबाने के लिए गलत एवं झूठी जानकारी दी गई है।